नैनीताल हाईकोर्ट ने 14 साल की सजा पूरी करने के बावजूद बंदियों को जेल से रिहा नहीं किए जाने के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि बृहस्पतिवार शाम तक उनकी रिहाई के संबंध में निर्णय लेकर शुक्रवार सुबह साढ़े दस बजे तक अपने फैसले से कोर्ट को अवगत कराएं।
मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। पिछले दिनों मुख्य न्यायाधीश ने हल्द्वानी स्थित जेल और सितारगंज की संपूर्णानंद जेल का दौरा किया था। वहां बंदियों की समस्याएं सुनने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की धज्जियां उड़तीं पाईं, जिसमें उच्चतम न्यायालय ने पुलिस की उस दलील को निराधार बताया था कि बंदी को जेल से बाहर रखना समाज के लिए खतरा हो सकता है।
मुख्य न्यायाधीश ने बंदियों के मानवाधिकार को समझते हुए जेल प्रबंधनों से ऐसे कैदियो की सूची मांगी थी, जिनकी सजा पूरी हो चुकी है। प्राप्त सूची में 167 ऐसे कैदी मिले जो अपनी 14 साल की सजा पूरी कर चुके हैं, इसके बावजूद उन्हें रिहा नहीं किया जा रहा है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई की। नवनियुक्त गृह सचिव दिलीप जावलकर ने भी ऑनलाइन सुनवाई में हिस्सा लिया।
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