
उत्तराखंड में मार्च के महीने में गर्मी से राहत मिलने के कोई आसार नहीं हैं. हिमालयी राज्य के करीब आधे ज़िलों में इस महीने बारिश कतई दर्ज नहीं हुई, वहीं बाकी आधे जनपदों में छिटपुट ही हुई है इसलिए मैदानों से लेकर पहाड़ों तक तापमान बढ़ने लगा है. यही नहीं, ग्लेशियरों के पिघलने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. सुदूर पहाड़ी इलाकों में ही अभी कुछ जमी हुई बर्फ मिल रही है. मौसम विभाग कह रहा है कि 31 मार्च तक गर्मी के तेवर ऐसे ही बने रहेंगे बल्कि पारा और चढ़ सकता है. ऐसे में हिल स्टेशनों पर पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ गई है.
आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक राज्य के ज़्यादातर हिस्सों में तापमान सामान्य से 5-6 डिग्री तक ज़्यादा दर्ज हो रहा है और आने वाले कुछ दिनों में ऐसा ही मौसम बरकरार रहेगा. सिंह की मानें तो यह तापमान औसत से 8-9 डिग्री तक ज़्यादा हो सकता है. देहरादून में सोमवार को दिन का तापमान 36 डिग्री दर्ज किया गया यानी सामान्य से 6 डिग्री तक ज़्यादा. यही नहीं, मुक्तेश्वर जैसे ठंडे स्थान पर तापमान भी सामान्य से 6 डिग्री बढ़कर 24.2 डिग्री दर्ज किया गया. ये आंकड़े साफ तौर पर बता रहे हैं कि उत्तराखंड में गर्मी तेज़ी से बढ़ रही है.
कहां कैसा है पारे का मिज़ाज?
अल्मोड़ा जैसे पहाड़ी ज़िले में पारा 30 के पार जा पहुंचा है, तो खटीमा और रुड़की राज्य के सबसे गर्म कस्बे बने हुए हैं. टिहरी में अभी तापमान 25 डिग्री के आसपास बना हुआ है तो नैनीताल में भी फिलहाल 23 डिग्री तक पारा पहुंचा है. हालांकि अगले कुछ दिनों में यहां पारा और उछलने के अनुमान हैं. नैनीताल, टिहरी, चंपावत और चमोली के कई पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों का तांता लगा हुआ है.
बढ़ती गर्मी का पहाड़ में क्या है असर?
जैसे जैसे पारा उछल रहा है, उत्तराखंड के हिस्से वाले हिमालय पर ग्लेशियरों का पिघलना शुरू हो चुका है. चूंकि उत्तराखंड में मार्च का महीना सूखा रहा है यानी बारिश के लिहाज़ से 97 फीसदी तक कमी दर्ज की गई है इसलिए यहां गर्मी का प्रकोप भी दिखने लगा है. राज्य में गर्मी के चलते जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. उत्तरकाशी में कई जगह वनों के जलने के समाचार आ रहे हैं.
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