यमुनोत्री पैदल मार्ग पर आवाजाही को सुरक्षित बनाने के लिए जिला प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी है। वहीं जानकीचट्टी से यमुनोत्री तक घोड़े-खच्चर एवं डंडी के आवागमन के लिए अधिकतम संख्या और समयावधि तय कर दी है। इसके अलावा घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी से यमुनोत्री जाने वाले यात्री को 60 मिनट में दर्शन कर लौटना होगा। ऐसा नहीं होने पर संचालक बिना यात्री को लिए ही वापस आ जाएंगे।
यमुनोत्री पैदल मार्ग पर आवाजाही को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने जानकीचट्टी से यमुनोत्री तक घोड़े-खच्चर एवं डंडी के आवागमन के लिए अधिकतम संख्या और समयावधि तय कर दी है।
वहीं घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी से यमुनोत्री जाने वाले यात्री को 60 मिनट में दर्शन कर लौटना होगा। ऐसा नहीं होने पर संचालक बिना यात्री को लिए ही वापस आ जाएंगे। डीएम के आदेश के अनुसार जानकीचट्टी से यमुनोत्री एवं यमुनोत्री से जानकीचट्टी आने-जाने वाले घोड़े-खच्चरों की संख्या अधिकतम 800 तय की गई है।
इस मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के आवागमन का समय सुबह 4 बजे से शाम 5 बजे तक ही होगा। 800 घोड़े खच्चरों के राउंड पूरे होने पर जानकीचट्टी से उसी अनुपात में घोड़े खच्चर भेजे जाएंगे जिस अनुपात से यह यमुनोत्री से वापस आएंगे।
प्रत्येक घोड़े-खच्चर के प्रस्थान, यात्री के दर्शन तथा वापसी के लिए भी प्रशासन ने पांच घंटे की समयावधि तय की है। पांच घंटे से अधिक समय तक कोई भी घोडा-खच्चर यात्रा मार्ग पर नहीं रहेगा।
घोड़ा-खच्चर का संचालन प्रीपेड काउंटर से होगा। पर्ची भी वहीं काटी जाएगी और वहीं पर भुगतान किया जाएगा। इसकी जानकारी यात्री को लाउडस्पीकर से दी जाएगी।
वहीं डीएम के आदेश में जानकीचट्टी से यमुनोत्री आने-जाने वाली डंडी-कंडी की अधिकतम संख्या 300 तय की गई है। इनके आवागमन का समय सुबह 4 बजे से शाम 4 बजे तक निर्धारित किया जाता है।
यात्रा मार्ग पर प्रत्येक डंडी-कंडी केवल छह घंटे ही आवागमन कर सकेगी। इन्हें 50 के लॉट में छोड़ा जाएगा। एक लॉट के छोड़े जाने के बाद दूसरा लॉट एक घंटे बाद रोटेशन अनुसार छोड़ा जाएगा। डंडी-कंडी का संचालन सिर्फ बिरला धर्मशाला से किया जाएगा।
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