
पेपर लीक मामले की जांच में अब तक उत्तरकाशी का क्षेत्र विशेष सबसे ज्यादा चर्चा में आया है। इस क्षेत्र के एक-दो नहीं बल्कि 80 से ज्यादा अभ्यर्थी पास हुए हैं। इनमें कुछ ग्राम प्रधान हैं तो कई क्षेत्र पंचायत सदस्य और ग्राम पंचायत सदस्य। बताया जाता है कि अधिकतर नकल कर ही इस परीक्षा में पास हुए हैं। कहा जा रहा है कि पेपर इसी क्षेत्र के एक जनप्रतिनिधि ने उन्हें मुहैया कराया था।
एसटीएफ के सूत्रों के अनुसार, आरोपी कई अभ्यर्थियों को लेकर देहरादून आया था। यहां उसने लीक करने वालों से पेपर खरीदा और हल कर इन अभ्यर्थियों को बेचा था। सभी यहां होटलों में ठहरे थे। हालांकि, एसटीएफ को इनके बारे में पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले हैं। बस पकड़े गए आरोपियों ने इनके नाम लिए हैं। इस मामले में एसटीएफ की एक टीम गढ़वाल में, दूसरी हरिद्वार और तीसरी कुमाऊं क्षेत्र में साक्ष्य जुटाने में लगी हुई है।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को गठन से लेकर अब तक 19 हजार पदों के लिए प्रस्ताव मिले, जिनमें से दस हजार पदों की परीक्षाएं पूरी कराई जा चुकी हैं। चार हजार पदों की परीक्षाएं पाइपलाइन में हैं। आयोग के अध्यक्ष रहे एस राजू ने बताया कि अपनी स्थापना से लेकर अब तक आयोग लगातार पारदर्शिता को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है।
अपने कार्यकाल में उन्होंने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि 19 हजार 390 पदों पर भर्तियों के प्रस्ताव अब तक आए हैं। इनमें से 10 हजार 45 पदों पर चयन पूरा किया गया। 3245 पदों की लिखित परीक्षा कराने के बाद चयन की प्रक्रिया चल रही है।
4650 पदों पर सात लिखित परीक्षाएं होनी बाकी हैं। 1450 पदों पर भर्तियों के नोटिफिकेशन जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब तक दायर हुई 440 याचिकाओं में से केवल सहायक अध्यापक भर्ती की चार विषयों की परीक्षा को छोड़कर कोई याचिका हाईकोर्ट में लंबित नहीं है। ऑनलाइन परीक्षा का काम पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया से कंपनी को दिया गया जो कि कहीं भी ब्लैकलिस्ट नहीं थी।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएससी) की स्नातक स्तर की परीक्षा में नकल के खेल में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और अन्य जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए थे। उत्तरकाशी के ये लोग गांव और क्षेत्र की राजनीति छोड़कर नकल कर अफसर बनने चले थे, लेकिन सूची फाइनल होने से पहले ही पेपर लीक का मामला सामने आ गया और इनका सपना धरा रह गया।