
उत्तराखंड में पांचवी विधानसभा का पहला सत्र शुरू हुआ तो सरकार लेखा अनुदान पेश करने जा रही है, तो वहीं कांग्रेस ने सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है. राज्यपाल गुरमीत सिंह ने सत्र की शुरुआत में जो अभिभाषण दिया, कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने दिशाविहीन करार दे दिया, तो विधानसभा के विधिवत शुरू होने से पहले ही कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत ने महंगाई के मुद्दे पर बैनर लहराकर और धरना देकर सरकार को घेरने की कोशिश की, लेकिन उन्हें अपनी ही पार्टी के विधायकों का कोई समर्थन नहीं मिला.
विधानसभा सत्र की शुरुआत को लेकर काफी गहमागहमी बनी रही क्योंकि एक तरफ भाजपा सरकार ने अपने मंत्रियों के विभागों का बंटवारा अब तक नहीं किया, वहीं कांग्रेस अपने नेता प्रतिपक्ष के नाम का ऐलान करने में लेटलतीफी की शिकार दिखी. इन स्थितियों में शुरू हुए विधानसभा सत्र में कांग्रेस पार्टी गुटबाज़ी की शिकार नज़र आई. राज्यपाल के अभिभाषण से पहले सरकार के खिलाफ बैनर लहराने और बाद में विधानसभा गैलरी में धरना प्रदर्शन करने वाली अनुपमा को कांग्रेस विधायकों का सपोर्ट न मिलने पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि उन्होंने पहले सबसे राय मशविरा किया होता, तो ऐसा नहीं होता.
नौकरशाही पर लगाम की तैयारी
इधर, भाजपा की सरकार में पर्यटन मंत्री रह चुके सतपाल महाराज ने एक बार फिर मांग उठाई कि प्रशासनिक सेवा के अफसरों की सीआर यानी कॉंफिडेंशियल रिपोर्ट लिखने का अधिकार मंत्रियों को मिलना चाहिए. उनकी मांग का समर्थन प्रेमचंद अग्रवाल और सौरभ बहुगुणा ने भी किया. इस मांग के चलते नौकरशाही में बेचैनी बढ़ गई, तो बताया जा रहा है कि इस बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जल्द कोई निर्णय ले सकते हैं.
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