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Sholay 50 Years: हिंसी फिल्म इंडस्ट्री की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल् ‘शोले’ को आज 15 अगस्त को 50 साल पूरे हो चुके हैं. ये फिल्म आज ही के दिन 1975 में रिलीज हुई थी, जिसने बॉक्स ऑफिस पर इतिहास रच दिया था और हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी कल्ट क्लासिक बन गई, जिसको आज भी लोग बड़े चाव के साथ देखना पसंद करते हैं. वैसे तो इस फिल्म से कई किस्से जुडे हैं, लेकिन आज हम आपको सचिन पिलगांवकर से जुड़ा एक किस्सा बताने जा रहे हैं.
इस फिल्म में सचिन पिलगांवकर ने रहीम चाचा (ए. के. हंगल) के पोते अहमद का किरदार निभाया था. हाल ही में उन्होंने इस किरदार से जुड़ा एक बेहद इंटरेस्टिंग किस्सा शेयर किया. सचिन ने बताया कि उनका एक खास सीन था, जिसमें उनकी मौत हो जाती है, निर्देशक रमेश सिप्पी ने इस सीन को फिल्म से हटा दिया था. ये बदलाव क्यों हुआ? इसके पीछे की वजह उन्होंने खुद बताई. सचिन ने इंटरव्यू में बताया कि ये सीन गब्बर के अड्डे पर शूट किया गया था.
फिल्म से हटावा दिया था सचिन का सीन
गब्बर के हाथों उनके किरदार की हत्या दिखाई जानी थी. लेकिन एडिटिंग के समय इस सीन को हटा दिया गया. पहली वजह ये थी कि फिल्म की लंबाई पहले से काफी ज्यादा हो रही थी. दूसरी वजह यह थी कि निर्देशक को लगा, 16-17 साल के लड़के की हत्या का सीन दर्शकों को छोड़ा अनकंफर्टेबल कर सकता है. इसलिए इसे हटाने का फैसला लिया गया. सचिन ने कहा कि इसके बजाय फाइनल फिल्म में एक अलग तरीका अपनाया गया, जो काफी असरदार था.
काली चींटी से क्या था कनेक्शन?
गब्बर के हाथ पर एक काली चींटी दिखाई जाती है, जिसे देखकर वो कहता है, ‘रामगढ़ का बेटा आया है’. इसके बाद गब्बर उस चींटी को मार देता है. अगले सीन में गांव में सचिन के किरदार की लाश दिखाई जाती है. इस तरह दर्शकों को बिना सीधे हिंसा दिखाए ये समझ आ जाता है कि उनका किरदार मारा गया है. सचिन ने साफ कहा कि उस समय उन्हें ये सीन कटने का बहुत बुरा लगा था. ये उनका गब्बर के साथ एकमात्र बड़ा सीन था और उन्हें उस पर गर्व था.
आज समझ आई उस सीन का हटाना
जब वो फिल्म से हटाया गया तो उन्हें निराशा हुई. हर कलाकार चाहता है कि उसका खास सीन फिल्म में बना रहे और उनके लिए ये इमोशनल झटका था. उस समय एक यंग एक्टर होने के नाते ये उनके लिए बड़ा एक्सपीरियंस भी था. लेकिन समय के साथ सचिन का नजरिया बदल गया. उन्होंने कहा कि अब, जब वे खुद एक निर्देशक हैं, तो उन्हें रमेश सिप्पी का फैसला बिल्कुल सही लगता है. एक फिल्म निर्माता को हमेशा कहानी की लय और दर्शकों के इमोशंस का ध्यान रखना पड़ता है.
50 साल बाद भी कम नहीं हुई पॉपुलैरिटी
एक यंग लड़के की हत्या का सीन हटाना उस समय के माहौल और सेंसर की सोच के हिसाब से सही कदम था. ‘शोले’ भारतीय सिनेमा की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक मानी जाती है. गब्बर सिंह, जय-वीरू जैसे किरदार आज भी लोगों की जुबान पर हैं. अमजद खान द्वारा निभाया गया गब्बर का किरदार और सचिन का छोटा लेकिन अहम रोल दर्शकों को याद है. 50 साल बाद भी फिल्म की पॉपुलैरिटी कम नहीं हुई है. सचिन मानते हैं कि इस फिल्म में काम करना उनके गर्व का पल था.
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