
उत्तराखंड सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता के लिए मेडिकल की पढ़ाई के लिए बॉन्ड व्यवस्था लागू की थी, ताकि सस्ती फीस में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों से बॉन्ड भराया जा सके.
इसमें बॉन्ड की शर्त के हिसाब से मेडिकल की पढ़ाई होने के बाद डॉक्टरों को 5 साल तक पहाड़ में सेवाएं देनी होती हैं, लेकिन ऐसे में अधिकांश डॉक्टर पहाड़ों में सेवाएं देने से इनकार कर देते हैं.
खास बात ये कि तैनाती के बाद अस्पतालों से भी गायब रहते हैं. ऐसे में डॉक्टर जुर्माना देकर बॉन्ड तोड़ने का विकल्प चुनते हैं. अब सरकार बॉन्ड की शर्तें और सख्त बनाने जा रही है. अब तक मामूली जुर्माना देकर सरकारी नौकरी छोड़ देने वाले डॉक्टरों पर सरकार सख्ती करने जा रही है.
अब एमबीबीएस डॉक्टरों का बॉन्ड तोड़ना आसान नहीं होगा. साथ ही राज्य में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्रों का कहना है कि सरकार को बॉन्ड तोड़ने की रकम इतनी ज्यादा नहीं बढ़ानी चाहिए और 5 साल के बजाय 1 या 2 साल ही पहाड़ों में सेवाएं देने के लिए बॉंड कराना चाहिए.
राज्य सरकार अब केवल श्रीनगर और अल्मोड़ा में ही एमबीबीएस के छात्रों को बॉंड करा रही है. इसके अतिरिक्त राज्य के मेडिकल कॉलेजों में अब बॉन्ड की व्यवस्था नहीं है.