
साल 2011 से चर्चा में आई उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिले की कांडा के जोगाबाड़ी में मिली शिव गुफा जल्द ही पर्यटन मानचित्र में आएगी. इसके लिए सरकार ने पहली किश्त के रूप में 23 लाख रूपये अवमुक्त कर दिए हैं.
पर्यटन गुफा के विकास के लिए कार्य करने का जिम्मा कार्यदायी संस्था ब्रिडकुल को सौंपा गया है. पहाड़ में कई पर्यटन स्थल ऐसे हैं जो पर्यटकों और पर्यटन विभाग की निगाह से अब तक ओझल हैं. ऐसा ही एक रमणीय स्थल बागेश्वर के कांडा में स्थित जोगाबाड़ी की शिव गुफा है.
जोगाबाड़ी की खूबसूरत प्राकृतिक गुफा आकर्षण का बड़ा केन्द्र बनने जा रही है. इसके अंदर का खूबसूरत झरना, छोटी सी झील और वहां की सुंदर आकृतियां प्रकृति की अनूठी धरोहरें हैं. अब बस जरूरत है तो इसके प्रचार-प्रसार और पर्यटन विभाग द्वारा इसके लिए योजनाएं बनाने की. जिससे पर्यटन गतिविधियां बढ़ेंगी तो स्थानीय स्तर पर रोजगार भी निर्मित होंगे.
2017 से किए जा रहे प्रयास
पूर्व में जिलाधिकारी रह चुके मंगेश घिल्डियाल ने मई 2017 को इस गुफा का निरीक्षण किया तथा इसको ऐतिहासिक बताते हुए इसके संरक्षण की पहल किया. इसके बाद 16 मार्च 2021 को तत्कालीन जिलाधिकारी विनीत कुमार ने भी गुफा का दौरा किया तथा पर्यटन विभाग को इसके विकास और पर्यटन मानचित्र में शामिल करने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए थे.
जिस पर उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद देहरादून ने कल्याण सुंदर शिव गुफा जोगाबाड़ी के लिए 23 लाख रूपये अवमुक्त करके ब्रिडकुल को दे दिए हैं जिससे गुफा का विकास समेत वहां पर्यटन विकास हेतु आवश्यक कार्य हो सकें.
गुफा में कई धार्मिक कलाकृतियां
गुफा के विकास के लिए प्रयास कर रहे अर्जुन सिंह माजिला बताते हैं कि यह गुफा कुंड के रूप में है. गुफा के अंदर झरना है साथ ही भगवान गणेश, शिव लिंग, ब्रह्मा, विष्णु व महेश की मूर्तियों समेत बाघ, मगरमच्छ, हाथी की कलाकृतियां हैं. इसके अलावा ब्रहम कमल, विष्णु शंख आदि की भी कलाकृतियां हैं.
पर्यटन विकास अधिकारी कीर्ति चन्द्र आर्या ने बताया कि बागेश्वर में पर्यटन विकास के लिए प्रयास जारी हैं. शासन को 47.43 लाख का प्रस्ताव भेजा था जिसमें से 23 लाख स्वीकृत किया गया है. ब्रिडकुल को जल्द कार्य प्रारंभ करने को कहा गया है.
सुष्मिता थापा
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