
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में हुआ टनल हादसा प्राकृतिक नहीं इंसानी भूल का नतीजा है। जाने-माने भू वैज्ञानिक डॉ. पीसी नवानी ने ये बात कही है। उन्होंने कहा कि टनल निर्माण के दौरान जोन के हिसाब से सपोर्ट सिस्टम लगाया गया होता तो ये हादसा नहीं होता। उन्होंने हिमालय के लिए सुरंग निर्माण को सबसे सुरक्षित बताया।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स के पूर्व निदेशक डॉ. पीसी नवानी ने बताया कि जहां से टनल कोलेप्स हुई, वह जोन काफी कमजोर था। टनल बनाने के दौरान निर्माण टीम को जो डिजाइन पैटर्न दिया गया था, उसी पर वह काम करते रहे।
रॉक मास के हिसाब से उन्होंने सपोर्ट सिस्टम में बदलाव नहीं किया। बताया कि टनल निर्माण के दौरान लगातार भूगर्भीय हालातों की भी निगरानी करनी पड़ती है, जिससे नाजुक जोन में अलर्ट मिलता है और उसी हिसाब से सपोर्ट सिस्टम (सुरक्षा उपाय) बदलने पड़ते हैं। यानी भूगर्भीय परिस्थितियों के हिसाब से डिजाइन पैटर्न में बदलाव किया जाता है। उन्होंने कहा कि हादसे में अभी तक जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि टनल का ये हादसा प्राकृतिक नहीं मानवीय भूल का नतीजा है।