इस हिसाब से शहरी विकास विभाग और राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। इस सप्ताह ओबीसी आरक्षण संबंधी अध्यादेश को राजभवन से मंजूरी भी मिल सकती है।
दरअसल, नगर निकाय चुनावों के लिए कुछ प्रक्रियाएं अभी बाकी हैं। इनमें पहली है अध्यादेश पर फैसला। शासन ने ओबीसी आरक्षण लागू करने संबंधी अध्यादेश राजभवन को भेजा है, जिस पर इस सप्ताह राजभवन मंजूरी दे सकता है। अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद ओबीसी आरक्षण की नियमावली पर निर्णय होगा। मुख्यमंत्री को इस पर अनुमोदन देना है।
नियमावली आने के बाद आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया जिलाधिकारियों के स्तर से होगी। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग अधिसूचना जारी करेगा। बताया जा रहा है कि 15 दिसंबर के आसपास अधिसूचना जारी हो सकती है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में चुनाव कराने की योजना पर काम चल रहा है।
निकाय चुनाव में इस बार राज्य निर्वाचन आयोग ने खर्च की सीमा बढ़ाने के साथ ही कड़े नियम भी लागू कर दिए हैं। सभासद सदस्य हो या नगर निगम मेयर प्रत्याशी, चुनावी खर्च का ब्योरा प्रमाण के साथ न देने पर आयोग तीन साल का प्रतिबंध लगा देगा। इसके बाद वह कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने अधिकतम निर्वाचन व्यय और उसकी लेखा परीक्षक आदेश 2024 जारी किया है। इसमें स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि हर उम्मीदवार की ओर से जमा चुनावी खर्च के लेखों का निरीक्षण करने के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी ये देखेंगे कि सभी दस्तावेज सही हैं या नहीं।
अगर नहीं तो उसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग को भेजनी होगी। जिसकी कॉपी नोटिस बोर्ड पर चस्पा भी करनी होगी। आयोग ऐसे उम्मीदवारों को कारण बताओ नोटिस जारी करके 20 दिन के भीतर जवाब मांगेगा। इसके बाद भी खर्च का सही ब्योरा न दिया तो आयोग उस प्रत्याशी के चुनाव लड़ने पर तीन साल का प्रतिबंध लगा देगा।