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कात्यानी रूप में विराजमान है माता कसार देवी, नासा के वैज्ञानिक कर रहे है शोध

कात्यानी रूप में विराजमान है माता कसार देवी, नासा के वैज्ञानिक कर रहे है शोध

अल्मोड़ा . देवभूमि उत्तराखंड में आपको ऐसे कई मंदिर देखने को मिलेंगे जिनके प्रति लोगों की आस्था काफी देखने को मिलती है. अल्मोड़ा में एक ऐसा मंदिर भी है जहां माता ने अवतार लेकर दो राक्षसों का संहार किया था. अल्मोड़ा से तकरीबन 8 किलोमीटर की दूरी पर है कसार देवी और यहां माता कसार देवी का मंदिर है.

बताया जाता है जब दो राक्षसों का आतंक बढ़ रहा था तब माता ने आकर शुंभ-निशुंभ नामक राक्षसों का वध यहां पर किया था. बताया जाता है यहां माता कात्यायनी रुप में विराजमान है.

कसार देवी के मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं नवरात्रि के अलावा अन्य दिनों में भी श्रद्धालु देश-विदेश से यहां पर पहुंचते हैं.

बताया जाता है माता यहां पर साक्षात विराजमान है और इस मंदिर में आकर लोगों को एक अलग प्रकार की अनुभूति होती है. इस मंदिर में 1890 में स्वामी विवेकानंद भी आए थे . जिन्होंने यहां पर ध्यान किया था जो गुफा आज भी देखने को मिलती है.


कसार देवी में शुंभ-निशुंभ राक्षसों का वध करने के लिए माता ने कात्यानी रूप में अवतार लिया. मंदिर के चारों ओर चुंबकीय शक्तियां है.

यहां लोग ध्यान करने के लिए आते हैं और मंदिर के चारों ओर लोग बैठकर ध्यान पर बैठे रहते हैं. स्थानीय लोगों के साथ बाहर से आने वाले पर्यटक काफी संख्या में यहां पहुंचते है.



अल्मोड़ा के कसार देवी में चुंबकीय शक्तियां हैं. इसको लेकर नासा के वैज्ञानिक भी इस पे शोध कर रहे है. दुनिया में तीन पर्यटक स्थल ऐसे है, जहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शन तो होते ही है, साथ ही मानसिक शांति भी महसूस होती है. यहां चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी है.

इनमें से एक भारत के उत्तराखंड में अल्मोड़ा में स्थित कसार देवी है. नासा के वैज्ञानिक चुंबकीय रूप से इन तीनों जगहों के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर रहे है. एक अध्ययन में पता चला है कि अल्मोड़ा स्थित कसार देवी मंदिर, दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू और इंग्लैंड के स्टोन हेंग में यह अद्भुत समानताएं हैं. इन तीनों जगहों पर चुंबकीय शक्ति मौजूद है.

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