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भगवान कार्तिकेय का कार्तिक स्वामी मंदिर श्रद्धालुओं की पहली पसंद बन

भगवान कार्तिकेय का कार्तिक स्वामी मंदिर श्रद्धालुओं की पहली पसंद बन

देवभूमि उत्तराखंड के जनपद चमोली और रुद्रप्रयाग के 360 गांवों के आराध्य भगवान कार्तिकेय का कार्तिक स्वामी मंदिर श्रद्धालुओं की पहली पसंद बन रहा है। यह प्राचीन मंदिर उत्तर भारत में भगवान कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर भी है। यहां, बारह महीने आराध्य के दर्शन होते हैं।

शीतकाल में बीते छह माह में यहां 30 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वन विभाग ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मंदिर मार्ग के संरक्षण के लिए इको विकास समिति का गठन भी किया है। समुद्र तल से 3048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित क्रौंच पर्वत पर कार्तिक स्वामी मंदिर विराजमान है।

मंदिर से पर्वतराज हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं के दर्शन होते हैं। साथ ही चारों तरफ सघन वन क्षेत्र का मनोहारी नजारा होता है। कनकचौंरी से मंदिर तक लगभग साढ़े चार किमी पैदल मार्ग है, जिस पर कई प्राकृतिक धरोहरें हैं, जो यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। मंदिर से लगे चट्टानी क्षेत्र में यहां सैकड़ों छोटे-छोटे जलकुंड और प्राचीन ओखलियां भी हैं, जिन्हें लेकर कई मान्यताएं भी हैं।

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यहां दशकों से प्रतिवर्ष जून माह में ग्यारह दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान होता है। वहीं देव दीपावली का विशेष महत्व है। बीते वर्ष यात्रा काल में यहां पांच लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। वहीं, बीते वर्ष दिसंबर से अभी तक यहां 30 हजार से अधिक श्रद्धालु और पर्यटन पहुंच चुके हैं। अब, वन विभाग ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर कनकचौंरी से मंदिर तक पूरे क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए कवायद शुरू कर दी है। पैदल मार्ग व मंदिर की देखरेख, साफ-सफाई और आमदनी अर्जित करने के लिए कार्तिकेय-कनकचौंरी पर्यावरण विकास समिति का गठन किया गया है।

कनकचौंरी-कार्तिक स्वामी मंदिर तक पर्यटन विभाग ने 10 शौचालय बनाए हैं। साथ ही टीएचडीसी पीपलकोटी की मदद से यहां प्रकाश व्यवस्था के इंतजाम किए गए हैं। ईडीसी द्वारा यहां प्रत्येक 100-100 मीटर की दूरी पर कूड़ेदान रखे जा रहे हैं। आमदनी बढ़ने पर आने वाले समय में कार्तिकेय-कनकचौरी पर्यावरण विकास समिति यात्री सुविधाओं में और इजाफा करेगी।

कार्तिक स्वामी पहुंचने वाले यात्री व पर्यटकों से 10 रुपये से 50 रुपये तक शुल्क लिया जा रहा है। मंदिर के हक-हकूक से जुड़े गांवों को शुल्क से मुक्त रखा गया है। अन्य जिलों से आने वाले यात्रियों से 25 रुपये व बाहरी यात्रियों से 50 रुपये शुल्क लिया जा रहा है।

समिति ने अपना कार्य शुरू कर दिया है। कुछ औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है, जिसके बाद अन्य यात्री सुविधा के कार्य भी किए जाएंगे। अभी पैदल ट्रेक पर साफ-सफाई के लिए दो कर्मचारी तैनात किए गए हैं। वन विभाग सहित अन्य संस्थाओं का सहयोग मिल रहा है, जिससे कनकचौंरी से मंदिर तक सुविधाएं जुटाने में मदद मिल रही है। – विक्रम सिंह नेगी, अध्यक्ष कार्तिकेय-कनकचौंरी पर्यावरण विकास समिति, कार्तिक स्वामी मंदिर

ईडीसी को विकास स्तर पर हरसंभव सहयोग दिया जा रहा है। यहां आने वाले प्रत्येक यात्री की गिनती की जा रही है। उम्मीद है कि आने वाले समय में यहां यात्री व पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा। – डीएस पुंडीर, एसडीओ रुद्रप्रयाग वन प्रभाग


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