ऑक्सीजन सिलिंडर ब्लास्ट में जान गंवाने वाले एक ड्राइवर का परिवार 15 लाख रुपये के मुआवजे से वंचित रह गया, क्योंकि हादसे के समय उस ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। हरिद्वार के जिला उपभोक्ता आयोग ने सितंबर 2022 में मृत ड्राइवर के परिजनों के पक्ष में फैसला दिया था कि बीमा कंपनी 15 लाख रुपये छह प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करे, साथ ही 20 हजार रुपये मुआवजे और वकील के खर्च के तौर पर दिए जाएं।
वैध ड्राइविंग लाइसेंस के अभाव में जिला आयोग के आदेश को राज्य उपभोक्ता आयोग ने रद्द कर दिया है। राज्य उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष कुमकुम रानी और सदस्य बीएस मनराल ने आदेश में कहा कि मृतक नबीद के पास लाइट मोटर व्हीकल चलाने का ड्राइविंग लाइसेंस था लेकिन वह ऑक्सीजन सिलेंडर ढोने वाली वाहन चला रहा था, जिसके लिए उसे अधिकृत नहीं किया गया था, हालांकि वह खतरनाक श्रेणी का वाहन चलाने का मामला था। जिला आयोग ने इस तथ्य पर विचार किए बिना फैसला सुना दिया।
मृतक नबीद वाहन का पंजीकृत मालिक था, जिसकी बीमा 15 अप्रैल 2019 से 14 अप्रैल 2020 की अवधि के लिए हुआ था। उस बीमा पॉलिसी के तहत पंजीकृत मालिक को 325 रुपये के प्रीमियम पर 15 लाख रुपये का व्यक्तिगत दुर्घटना कवर भी प्रदान किया गया था।
हादसा 24 सितंबर 2019 को हुआ था। नबीद अपने वाहन से ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर एक इंजीनियरिंग कंपनी में गया था। वहां पहुंचने पर सिलेंडर उतारने में हेल्पर की सहायता कर रहा था, उसी दौरान सिलेंडर फटने से मौत हो गई। बीमा रकम का दावा उनकी पत्नी और दो बोटियों व एक अन्य रिश्तेदार की ओर से किया गया था।
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