
14 साल में बन पाई थी ये फिल्म
‘मुगल-ए-आजम’, से लेकर ‘शोले’ तक कई ऐसी फिल्में हैं, जिनका नाम हिंदी सिनेमा के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। आज हम आपको एक ऐसी ही फिल्म के बारे में बताएंगे, जो हिंदी सिनेमा की सबसे शानदार फिल्मों में गिनी जाती है और कल्ट क्लासिक कहलाई। ये फिल्म हिंदी सिनेमा की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है, जिसे बनाने में मेकर्स को 14 साल का समय लग गया। हम बात कर रहे हैं ‘पाकीजा’ की, जो एक तवायफ की मार्मिक कहानी थी और लता मंगेशकर द्वारा गाए मधुर गीतों से सजी थी। जब ये फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई तो ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन फिर जैसे भीड़ ही उमड़ पड़ी। फिल्म में मीना कुमारी और अभिनेता राज कुमार लीड रोल में थे।
ब्लैक एंड व्हाइट में लॉन्च की गई थी फिल्म
‘चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो…’, ‘चलते चलते’, ‘ठाड़े रहियो..’ जैसे पाकीजा के गाने आज भी खूब पसंद किए जाते हैं। शुरुआत में यह फिल्म ब्लैक एंड व्हाइट में लॉन्च की गई थी। लेकिन, जब फिल्म की शूटिंग में समय लग रहा था और इसी बीच रंगीन सिनेमा का दौर फिल्म इंडस्ट्री में आ गया तो फिल्म के निर्देशक ने ब्लैक एंड व्हाइट में शूट किए गए हिस्सों को हटा दिया और फिल्म को फिर से शूट करना शुरू कर दिया। इसके बाद, सिनेमास्कोप की अवधारणा अस्तित्व में आई। फिर फिल्म निर्माता ने बाद में सिनेमास्कोप लेंस का पूरा फायदा उठाया और सादे रंगों में शूट किए गए हिस्सों को हटाकर पूरी फिल्म को फिर से शूट करना शुरू कर दिया। जो फिल्म में देरी की एक सबसे बड़ी वजह बनी।
फिल्म को बनने में लगे 14 साल
रंगीन फिल्में या सिनेमास्कोप ही इस फिल्म में देरी की वजह नहीं बनीं। फिल्म के निर्माण के दौरान ही पाकीजा की मुख्य अभिनेत्री मीना कुमारी अपने पति कमाल अमरोही से अलग हो गईं, जो फिल्म के डायरेक्टर थे और ये भी फिल्म के रुकने की एक वजह बनी। एक बार फिर, फिल्म की शूटिंग 1968 में फिर से शुरू हुई। इसी दौरान मीना कुमारी की तबीयत भी खराब रहने लगी। इस वजह से फिल्म को बनने में 14 साल लग गए।
1968 में फिर शुरू हुई पाकीजा की शूटिंग
1968 में जब पाकीजा की शूटिंग शुरू हुई तो मीना कुमारी की सेहत गड़बड़ाने लगी। उन दिनों मीना कुमारी को शराब की लत लग चुकी थी और वह बेहद खराब हालत में थीं। उनकी हालत और शराब की लत दिन पर दिन बिगड़ रही थी। लेकिन, कमाल अमरोही इस बात पर अड़े थे कि फिल्म मीना कुमारी के साथ ही पूरी होगी। जब ‘चलो दिलदार चलो..’ की शूटिंग की बारी आई तो मीना कुमारी की हालत और बिगड़ गई, जिसके बाद गाना पद्मा खन्ना को लेकर फिल्माया गया और पूरे गाने में उनका चेहरा नहीं दिखाया गया।
1972 में रिलीज हुई पाकीजा
फिल्म के डायरेक्टर कमाल अमरोही थे, जो मीना कुमारी के पति भी थे। उन दिनों कमाल अमरोही और मीना कुमारी के बीच सब ठीक-ठाक नहीं थी, दोनों का रिश्ता काफी बिगड़ चुका था। ये भी मीना कुमारी के शराब की लत में डूबने की वजह बनी। जैसे-तैसे फिल्म पूरी हुई और 1972 में जाकर रिलीज हुई। फिल्म को शुरुआत में दर्शकों से कुछ खास रिस्पॉन्स नहीं मिल सका। लेकिन, फिल्म की रिलीज के 2 महीने बाद ही मीना कुमारी का निधन हो गया, जिसके बाद मीना कुमारी के प्रशंसकों की भीड़ सिनेमाघरों में उमड़ पड़ी।
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