
Anshula Kapoor Talks on Parents divorce: बॉलीवुड के सुपरहिट प्रोड्यूसर बोनी कपूर और उनकी पहली पत्नी मोना शौरी की बेटी अंशुला कपूर खुद को उनके माता-पिता के अलग होने का कारण मानती थीं.हाल ही में अंशुला ने बताया कि छह साल की उम्र में उन्हें ‘बुरी बेटी’ होने का अहसास तब और गहरा हो गया जब बोनी कपूर ने अपनी दूसरी पत्नी और अभिनेत्री श्रीदेवी से अपनी पहली संतान जान्हवी कपूर का वेलकम किया.
अर्जुन कपूर की बहन अंशुला कई बार अपने पिता की दूसरी शादी को लेकर अपना दर्द बयां कर चुकी हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अंशुला ने बताया कि अपने मां-बाप के अलग होने की वजह वह खुद को मानने लगी थीं. बात तब और बिगड़ी जब जाह्नवी पैदा हो गई.अंशुला ने यह भी माना कि शायद उन्होंने किसी आंटी या दोस्त के मुंह से कुछ सुना होगा जिसका असर उनके मन पर हुआ.
अंशुला खुद को मानती थी जिम्मेदार
पिंकविला को दिए एक इंटरव्यू में अंशुला ने बताया, ‘अंशुला ने बताया कि ‘जब मैं बहुत छोटी थी, मुझे लगता था कि मम्मी-पापा की जिंदगी अच्छी चल रही थी और फिर मैं आई और सब बदल गया. मुझे लगता था कि शायद मैं कोई अच्छी बेटी नहीं हूं, और इसलिए उनके रिश्ते में दरार आई.’
अंशुला आगे कहती हैं जब 1997 में जाह्नवी का जन्म हुआ तो मुझे लगा मेरे अंदर ही कुछ कमी है. अंशुला ने स्वीकार किया कि उस समय उनके मन में यह ख्याल आया कि शायद जाह्नवी का जन्म एक सही चीज़ का प्रतीक था, जबकि वे खुद ‘कुछ गड़बड़’ थीं.’मैं जानती हूं कि यह भयानक लगता है, लेकिन जब जानू (जाह्नवी) का जन्म हुआ, तब मुझे और पक्का यकीन हो गया कि शायद मुझमें ही कुछ कमी है.’
माता-पिता ने कई बार की समझाने की कोशिश
हालांकि अंशुला के माता-पिता ने उन्हें कई बार भरोसा दिलाया कि उनके बीच का अलगाव किसी भी तरह से अंशुला या उनके भाई अर्जुन कपूर की वजह से नहीं था. लेकिन अंशुला के मन में बैठे अपराधबोध को मिटाना आसान नहीं था. अंशुला ने बताया, ‘अब जब मैं बड़ी हो गई हूं, मैं जानती हूं कि यह मेरी गलती नहीं थी. लेकिन उस उम्र में, जब आप समझ नहीं पाते कि रिश्ते कैसे बदलते हैं, तो आप खुद को ही जिम्मेदार ठहराने लगते हैं.यह मेरे मन का एक बोझ था जो मैंने सालों तक ढोया.’
बात करते हुए अंशुला ने यह भी बताया कि ये ख्याल किसी बात से उपजे थे जो उन्होंने बचपन में अनजाने में सुन ली होगी. उन्होंने कहा, ‘शायद मैंने किसी आंटी या किसी रिश्तेदार की बातचीत को सुन लिया हो. हो सकता है कि कोई वाक्य अधूरा सुना हो और मेरे दिमाग ने उससे एक पूरी कहानी बना ली हो। बचपन में हमारे मन कितनी कहानियां गढ़ लेते हैं, यह कोई नहीं समझ सकता.
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